इश्क करने देखो दीवानों के संग आया हैं,
मोहब्बत में लिपटकर प्यारा बसंत आया हैं!
करने इज़हार-ए-इश्क अपनी,
साथ बहारों के वफ़ा का रंग लाया हैं!
प्रेम से प्रेमियों को मिलाने, प्रेम की परिभाषा
बताने, प्रेम का वो मेला लगाया हैं!
चारों तरफ दीवानों का उमंग छाया हैं,
मोहब्बत में लिपटकर प्यारा बसंत आया हैं!
ठुकरा के सारा जहां उसने इश्क अपनाया है,
बन राधा-मीरा उसने कृष्ण का भंग खाया हैं!
मिला के सब के इश्क को इश्क से,
उसने दीवानों से प्यार अनंत पाया हैं!
इश्क के आसमां पे इसने,
आशिकी के परिंदे सतरंग उड़ाया हैं!
इश्क करने देखो दीवानों के संग आया हैं,
मोहब्बत में लिपटकर प्यारा बसंत आया हैं!
Gajab hai mere Shayar
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