वो school का ज़माना था,
थोड़ा पागल था, दीवाना था!
Special 26 का वो beach,
गाता-मुस्कुराता, खुशियां मनाता हर-एक!
याद आती हैं, वो पागलपंती,
लीलाधर-मनमोहन की वो mind सनकी,
जिनकी बातें सुन, ना रुकती थी, किसी की हंसी!
उस पर निखिल-चंद्रहास का तड़का,
तभी चलता खुशियों का चरखा!
साथ में वो three idiots...
रहते थे हमेशा वो serious,
दुर्गेश-पोषण और नीरज!
अनिल-अजय और सुमन,
सबसे अलग थे ये तीन जन!
कुछ समझदार थोड़े नादान,
हर-पल रहते तीनों संग!
राजेश्वरी-सरिता, मंजूषा-योजिता,
चारों के चारों अचार संहिता!
सुनते अपनी, करते मन की,
सामने उनकी किसी की ना चलती!
शांत स्वभाव की वो तीन राजकुमारी
सुन्दर-सुशील, सबकी दुलारी!
मुस्कान उनकी प्यारी-प्यारी,
एक के रहता हमेशा नाक पे गुस्सा,
थी वो! प्रभा, श्वेता और रेणुका!
तीनों की थी जिगरी यारी, थी तीनों की एक सवारी!
एक से बढ़कर एक सयानी, भागने में थी वो माहिर,
कल्पना-निशा और देवकुमारी!
हैं तीनों बहनें वो सुन्दर,
कुछ उनका, कुछ मेरा हक हैं उन पर!
साथ मैं उनके शरारत करता,
कुछ भी बातें उनसे छुपा ना पाता!
बहनें थी वो दोस्त सा, मेरी प्यारी
चेतना, सावित्री और मनिषा!
अब बारी उनकी हैं आती, जिनसे हैं बचपन की यारी!
बिन बोले वो सब कुछ समझती!
कुछ मेरी सुनते, कुछ अपनी सुनाती!
नादान थे, परेशान वो रहते, कम कहते पर सच्ची कहते!
पढ़ते वो, जब fell होने का डर रहता,
पास होकर भी अब दूर हैं,
वो मेरी दोस्त! उर्मिला और वर्षा...
मैं भी था इनमें से एक, जो अलग ही राहें चल पड़ा,
गिरा, संभला फिर उठ हुआ खड़ा...
जी करता हैं कि इन यादों में कहीं खो जाऊं,
तांह उम्र के लिए...
कि अब वापस लौटने का दिल नहीं करता!
No comments:
Post a Comment